डाइवर्जेंस क्या है?
डाइवर्जेंस तब होती है जब कीमत की दिशा और तकनीकी संकेतकों की दिशा में अंतर होता है। यह स्थिति अक्सर तब देखने को मिलती है जब संकेतक ओवरबॉट (overbought) या ओवरसोल्ड (oversold) क्षेत्र में पहुंच जाता है, जैसे कि 20 और 80 के स्तर पर।

डाइवर्जेंस के प्रकार
- बुलिश डाइवर्जेंस: जब कीमत नई निचली स्तर पर जाती है, लेकिन संकेतक नया निचला स्तर नहीं बनाता। यह भविष्य में कीमतों में वृद्धि की संभावना को दर्शाता है।
- बियरिश डाइवर्जेंस: जब कीमत नई ऊंचाई पर जाती है, लेकिन संकेतक नई ऊंचाई नहीं बनाता। यह भविष्य में कीमतों में गिरावट का संकेत दे सकता है।
इसलिए, डाइवर्जेंस का उपयोग करना एक कुशल ट्रेडिंग रणनीति हो सकती है। इसे समझकर आप अपने ट्रेडिंग निर्णयों को बेहतर बना सकते हैं।